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दिव्यौघैर्मनुजौघ-सिद्ध-निवहैः सारूप्य-मुक्तिं गतैः ।

साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं

Goddess is popularly depicted as sitting down within the petals of lotus that may be saved within the horizontal entire body of Lord Shiva.

Shodashi is deeply connected to The trail of Tantra, exactly where she guides practitioners toward self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she's celebrated because the embodiment of Sri Vidya, the sacred awareness that brings about enlightenment.

Due to the fact among his adversaries had been Shiva himself, the Kama gained significant Shakti. Missing discrimination, the man started generating tribulations in every one of the three worlds. With Kama owning much ability, and With all the Devas struggling with defeat, they approached Tripura Sundari for assist. Taking over all her weapons, she billed into battle and vanquished him, Hence conserving the realm of your Gods.

ह्रीं‍मन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम् ।

Devotees of Tripura Sundari have interaction in a variety of rituals and techniques to express their devotion and search for her blessings.

देवीभिर्हृदयादिभिश्च परितो विन्दुं सदाऽऽनन्ददं

हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥

ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी

Goddess also has the identify of Adi Mahavidya, meaning the whole Variation of reality. In Vedic mantras, she is described as the Goddess who sparkles with the beautiful and pure rays of your Sunshine.

The philosophical dimensions of Tripura Sundari extend further than her Bodily attributes. She signifies the transformative ability of magnificence, which can lead the devotee with the darkness of ignorance to the light of knowledge and enlightenment.

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता website है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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