Details, Fiction and bhairav kavach
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धारयेत्पाठयेद्धपि संपठेद्वापि नित्यशः।।
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।
एतद् कवचमीशान तव स्नेहात्प्रकाशितम्।
श्रद्धयाऽश्रद्धयावापि पठनात् कवचस्य यत् । सर्वसिद्धिमवाप्नोति यदयन्मनसि रोचते ।।
साधक कुबेर के जीवन की तरह जीता है और हर जगह विजयी होता है। साधक चिंताओं, दुर्घटनाओं और बीमारियों से मुक्त जीवन जीता है।
Spiritual Growth: The Kavach is commonly noticed as a tool for spiritual advancement, facilitating a deeper connection with the divine and aiding from the journey toward self-realization.
इसका जप कवच से पहले और बाद में ११ या २१ बार करें ॥
आपदुद्धारणायेति त्वापदुद्धारणं नृणाम् ।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥
भीषणो भैरवः पातु उत्तरस्यां तु सर्वदा ।
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं में सर्वतो गिरा
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः
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