Details, Fiction and bhairav kavach

Wiki Article



धारयेत्पाठयेद्धपि संपठेद्वापि नित्यशः।।

पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा । 

एतद् कवचमीशान तव स्नेहात्प्रकाशितम्।

श्रद्धयाऽश्रद्धयावापि पठनात् कवचस्य यत् । सर्वसिद्धिमवाप्नोति यदयन्मनसि रोचते ।।

साधक कुबेर के जीवन की तरह जीता है और हर जगह विजयी होता है। साधक चिंताओं, दुर्घटनाओं और बीमारियों से मुक्त जीवन जीता है।

Spiritual Growth: The Kavach is commonly noticed as a tool for spiritual advancement, facilitating a deeper connection with the divine and aiding from the journey toward self-realization.

इसका जप कवच से पहले और बाद में ११ या २१ बार करें ॥

आपदुद्धारणायेति त्वापदुद्धारणं नृणाम् ।

हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥

 

भीषणो भैरवः पातु उत्तरस्यां तु सर्वदा ।

महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं में सर्वतो गिरा

आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः

Your browser isn’t website supported anymore. Update it to have the best YouTube knowledge and our hottest capabilities. Find out more

Report this wiki page